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संत कभी पैसे नही लेता धर्म के अनुसार जीवन जीना चाहिए- श्री देवकीनंदन ठाकुर जी
उरई। शहर के राठरोड़ स्थित गल्ला मंडी में चल रहे श्री विष्णु महायज्ञ के चौथे दिवस रविवार को महाराज श्री ने भक्तों को बताया कि संत कभी पैसा नही लेता है जबकि पूज्य संत ने सूत्रो से प्राप्त जानकारी के अनुसार बाईस तैईस लाख कथा के और बारह लाख रूपये का पंडाल एवं लाखो रूपये की चढौती ली । यह बात सत्य है कि संत कभी पैसा नही लेता बल्कि उसके एकाउण्ट मे पैसा जाता है वही पूज्य महाराज जी एक बहुत अच्छी बात कही हर सनातनी को अपने धर्म गौ सेवा के लिए कुछ पैसा निकाल कर देना चाहिए जो करोड़पति है वो लाख रूपये दे जो लखपति है हजारो रूपये दे सकते है हजारो के मालिक वो कुछ सौ रूपये सतकर्म के लिए निकाले । इसके पूज्य महाराज जी ने बताया कि सनातन धर्म जीवन को नैतिकता, सत्य, अहिंसा, और धर्म के सिद्धांतों के साथ जीने का मार्गदर्शन देता है। जब हम अपने धर्म के अनुसार चलते हैं, तो हमारे जीवन में सच्ची शांति और संतुलन आता है।
नेताओं को जाति के आधार पर नहीं, बल्कि अपने कार्यों और वचनबद्धता के आधार पर वोट मांगने चाहिए। जब नेता अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए काम करते हैं, तो देश का सही विकास संभव हो सकता है।
बच्चों की शादी की 20 से 25 साल के बीच होनी चाहिए। यह उम्र शारीरिक और मानसिक रूप से परिवार की जिम्मेदारी संभालने के लिए उचित होती है।
मानव को जीवन के हर पहलू को सहजता से स्वीकार करना चाहिए। सुख और दुख दोनों ही जीवन का हिस्सा हैं और हमें इनसे बाहर नहीं भागना चाहिए।
मानव को जीवन में भगवद गीता और गरुण पुराण जरूर सुनना चाहिए। ये दोनों ग्रंथ जीवन के सही मार्ग पर चलने की दिशा दिखाते हैं और व्यक्ति के आत्मिक उत्थान में सहायक होते हैं।
मानव आजकल गाय की जगह घर में कुत्ता पालने लगा है, जिससे उसका मस्तिष्क और मानसिकता भी उसी दिशा में विकसित हो रही है, जैसे कि कुत्ते की प्रवृत्तियाँ होती हैं। उनका कहना था कि गाय का पालन करना हमारे संस्कारों और धर्म का हिस्सा है, जो एक व्यक्ति को शुद्धता और आत्मिक शक्ति प्रदान करता है ।
मानव को अपने धर्म के अनुसार जीवन जीना चाहिए। धर्म से भटकने पर व्यक्ति का जीवन असंतुलित हो जाता है और वह सही मार्ग से विमुख हो जाता है।
लोग अब सिर्फ मंदिरों में सेल्फी लेने के लिए जाते हैं, जिससे धर्म और पूजा का उद्देश्य खो गया है। मंदिरों में जाने का असली उद्देश्य भगवान की उपासना, ध्यान और आत्मिक शांति प्राप्त करना है, न कि केवल फोटो खींचने और दिखावे के लिए जाना।
जीवन में मॉस नहीं खाना चाहिए, क्योंकि यह हमारे धर्म और संस्कारों के विपरीत है। मांसाहार से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और यह आत्मिक शांति को भी बाधित करता है। इसके बजाय शाकाहार को अपनाने से शुद्धता, दया और संतुलित जीवन मिलता है। कथा के दौरान नरेन्द्र सिंह जादौन ( पूर्व विधायक, कालपी ), श्री आशू चतुर्वेदी जी ने कथा में शामिल होकर व्यासपीठ का आशीर्वाद प्राप्त कर कथा श्रवण किया प्रमुख रूप से प्रदीप माहेश्वरी प्रदेश अध्यक्ष गल्ला ब्यापार संघ, अध्यक्ष देवीदीन राजपूत, मंत्रीअरविंद पटैरिया, अरबिंद सोनी कोषाध्यक्ष रामप्रकाश गुप्ता खरका, संयोजक केदार भारद्वाज, यज्ञ संयोजक सतीश कैथवा, संतोष जयसारी, उदय टिमरो, रविन्द्र करमेर, महपाल, शिवकुमार जैसारी, संजू दुबे, राघवेंद्र परिहार, चंद्रशेखर पटेरिया, संतोष गोरन, लालजी विनोद अहिरवार गिरीश चतुर्वेदी, आकाश, सत्यम इसके अलावा शहर के अन्य हजारो गणमान लोग मौजूद रहे।
रिपोर्ट=हिमांशु सोनी ज़िला संपादक जालौन
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